थॉमस मेरे दोस्त!
मैं शायद ये पहली चिट्ठी किसी के लिए लिख रहा हूं। वैसे मुझे याद नहीं है कि मैंने ‘मेज’ से पहले कोई चिट्ठी लिखी थी। भले ही ये मेरी पहली चिट्ठी न हो लेकिन आखिरी तो जरूर है। मैं तुम्हें बताना चाहता हूं कि मैं डरता नहीं हूं.. और मौत से तो बिल्कुल नहीं। बस अगर डर लगता है तो (वायरस के सामने) हारने से। इसीसे मेरी रूह कांप उठती है। हर रात मैं अपने दोस्तों के नाम जोर-जोर से पुकारता हूं.. एल्बी, विंस्टन, चक…एक प्रार्थन की तरह वो नाम बार-बार दोहराता हूं और सारी यादें ताजा हो जाती हैं।
वो छोटी-छोटी चीजें.. जैसे उस खास पल में सूरज की किरणें क्लेट पर पड़कर दीवारों के पीछे गायब हो जाती थीं। फ्राइपैन के सूप का स्वाद मुझे आज भी याद है। सोचा नहीं था वो मुझे आज भी याद आएगा….. और …तुम भी याद आते हो। वो वक्त याद आता है जब तुम पहली बार बॉक्स में आए थे। एक सहमा हुआ लड़का जिसको अपना खुद का नाम तक याद नहीं था। लेकिन तुम ‘मेज’ की रेस में सबसे आगे निकल गए… और तभी मैं पहचान गया कि मैं तुम्हारे दिखाए रास्ते पर चल सकता हूं.. और मैंने वही किया। हम सब ने किया।
क्या अंजान जगह में तुम्हारे साथ वो पहला कदम बढ़ाया जाए.. पर अब मैं जान गया हूं कि जिंदगी आसान रास्ते नहीं देती। अगर मैं वो सुनहरे दिन वापस ला पाता तो उसमें बदलाव किए बिना जरूर लाता और मुझे तुमसे भी यही उम्मीद है थॉमस कि…. जब तुम सालों बाद मुड़कर पीछे देखोगे तो तुम्हारा भी यही कहना होगा। हमेशा खुश रहना मेरे दोस्त क्योंकि तुम इसके हकदार हो। इसके लायक हो। थैंक्यू…. मेरा दोस्त बनने के लिए।
अलविदा दोस्त
न्यूट