Dharamshala Mcleodganj Travel Guide: हिमाचल प्रदेश की अद्भुत पहाड़ियों में बसे धर्मशाला और मैकलोडगंज पर्यटकों को अपनी सुरम्य प्राकृतिक सुंदरता और तिब्बती, ब्रिटिश और हिमाचली संस्कृतियों के अनूठे मिश्रण से आकर्षित करते हैं।
वैसे तो धर्मशाला और मैक्लोडगंज दोनों अलग-अलग जगहें हैं लेकिन एक दूसरे से इतनी भी दूर नहीं हैं कि दोनों के लिए अलग-अलग समय निकालकर जाना पड़े। दोनों जगहों को आप आराम से वीकेंड पर घूम सकते हैं।
तो आइए यात्रा विद अमित (YaatraWithAmit) के साथ जानते हैं कि धर्मशाला और मैक्लोडगंज में वीकेंड कैसे बिताएं, क्या है बजट, बेस्ट टाइम, कहां ठहरें और घूमने की जगहें क्या क्या हैं।
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Dharamshala Mcleodganj Travel Guide सबसे पहले इन दोनों जगहों के बारे में बात कर लेते हैं।
धर्मशाला इतना प्रसिद्ध क्यों है?
धर्मशाला भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य का एक शहर है। हिमालय के किनारे देवदार के जंगलों से घिरा यह पहाड़ी शहर दलाई लामा और निर्वासित तिब्बती सरकार का घर है। थेकचेन छोलिंग मंदिर परिसर तिब्बती बौद्ध धर्म का आध्यात्मिक केंद्र है, जबकि तिब्बती कार्यों और अभिलेखागार की लाइब्रेरी में हजारों कीमती पांडुलिपियां हैं।
मैक्लोडगंज इतना फेमस क्यों है?
मैक्लॉड गंज, जिसे मैक्लोडगंज भी कहा जाता है, भारत के हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में धर्मशाला का ही एक उपनगर है। तिब्बतियों की बड़ी आबादी के कारण इसे “छोटा ल्हासा” या “ढासा” के नाम से भी जाना जाता है। निर्वासित तिब्बती सरकार का मुख्यालय मैक्लोडगंज में है।
धर्मशाला से मैक्लोडगंज की दूरी (Dharamshala to McLeod Ganj distance)
धर्मशाला से मैक्लोडगंज की दूरी हुत ज्यादा नहीं है। जह आप इस ट्रिप पर जाते हैं तो पहले आपको धर्मशाला पड़ता है फिर आता है मैक्लोडगंज। धर्मशाला से मैक्लोडगंज की दूरी मात्र 5 किलोमीटर है। धर्मशाला से मैक्लोडगंज आप टैक्सी या सरकारी बस से 20 से 35 मिनट में पहुंच सकते हैं।
अब आइए जानते हैं कि इन दोनों जगहों पर पहुंचा कैसे जाए।
धर्मशाला और मैक्लोडगंज कैसे पहुंचें?
फ्लाइट से धर्मशाला और मैक्लोडगंज कैसे पहुंचें? –
धर्मशाला में दुनिया का सबसे खूबसूरत क्रिकेट स्टेडियम है। हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम, धर्मशाला का स्टेडियम एक इंटरनेशनल स्टेडियम है और यहां कई इंटरनेशनल मैच होते रहते हैं। इस वजह से यहां एयरपोर्ट का होना लाजमी है। धर्मशाला अगर फ्लाइट से जाना चाहते हैं तो पास का एयरपोर्ट है कांगड़ा में है।
कांगड़ा-गग्गल हवाई अड्डा, जिसे आधिकारिक तौर पर कांगड़ा हवाई अड्डे के रूप में जाना जाता है, भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश में गग्गल में स्थित एक क्षेत्रीय हवाई अड्डा है, जो धर्मशाला से 12 किमी दूर है और कांगड़ा शहर के केंद्र से 8 किमी और कांगड़ा में रेलवे स्टेशन से 14 किमी दूर है।
कांगड़ा हवाई अड्डा राष्ट्रीय राजमार्ग 154 पर स्थित है, जो पठानकोट और मंडी के बीच चलता है और हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा हवाई अड्डा है और नई दिल्ली से नियमित और दैनिक केवल एक फ्लाइट आती जाती है। इसलिए टिकट एडवांस में बुक कर लें।
ट्रेन से धर्मशाला और मैक्लोडगंज कैसे पहुंचें? –
धर्मशाला पहुंचने के लिए रात भर की ट्रेन यात्रा एक अच्छा विकल्प है। निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन 85 किलोमीटर दूर पठानकोट में है। जम्मू-कश्मीर जाने वाली कई ट्रेनें हैं जो पठानकोट में रुकती हैं। धर्मशाला पहुंचने के लिए आप पठानकोट से टैक्सी या बस ले सकते हैं। धर्मशाला से सिर्फ 22 किलोमीटर की दूरी पर एक छोटा रेलवे स्टेशन कांगड़ा मंदिर भी है, लेकिन यहां कोई भी महत्वपूर्ण ट्रेन नहीं रुकती है।
बस से धर्मशाला और मैक्लोडगंज कैसे पहुंचें? –
मेरी समझ में धर्मशाला और मैक्लोडगंज जाने के लिए यह सबसे बेस्ट ऑप्शन है। इस खूबसूरत हिल स्टेशन के लिए दिल्ली व अन्य प्रमुख शहरों के नियमित बसें चलती हैं। मैंने बस से ही यात्रा की है।
धर्मशाला राज्य संचालित बसों के साथ-साथ निजी टूर ऑपरेटरों के नेटवर्क के माध्यम से भी दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यह यात्रा दिल्ली से लगभग 520 किलोमीटर दूर है।
अधिकांश बसें लोअर धर्मशाला के मुख्य बस टर्मिनल पर रुकती हैं, लेकिन कुछ सार्वजनिक हरियाणा सड़क परिवहन निगम (एचआरटीसी) की बसें भी हैं जो मैकलोडगंज के मुख्य चौराहे तक जाती हैं। दिल्ली से रात भर की यात्रा में लगभग 13 घंटे लगते हैं। आप एचआरटीसी टिकट ऑनलाइन बुक कर सकते हैं। अगर आप दिल्ली से वोल्वो बस लेते हैं तो वह धर्मशाला तक जाएगी। धर्मशाला से आपको बस कंडक्टर एक गैर वोल्वो बस पर बिठाकर मैक्लोडगंड भेज देगा (अगर आप जाना चाहते हैं)। इसके लिए आप से अतिरिक्त किराया नहीं लिया जाएगा।
दिल्ली से धर्मशाला और मैक्लोडगंज बस का किराया-
वोल्वो (HIMSUTA AC VOLVO / SCANIA 2X2): 1,400+ रुपये।
गैर एसी (ऑर्डिनरी बस) HIMMANI DELUXE 2X2 NON AC OLD: 800+ रुपये।
धर्मशाला और मैक्लोडगंज जाने का बेस्ट टाइम (dharamshala mcleodganj best time to visit)
धर्मशाला मैकलोडगंज साल भर का गंतव्य होने के कारण साल के किसी भी समय जाया जा सकता है लेकिन यहां जाने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून के गर्मियों के महीने और सितंबर से नवंबर के बीच पूर्व-सर्दियों के महीने हैं।
मार्च से मध्य जुलाई: अगर आप भीषण गर्मी को मात देना चाह रहे हैं, तो मार्च से लेकर मध्य जुलाई तक जाने का बेस्ट टाइम है। गर्मियों के महीने पहाड़ियों की यात्रा के लिए एकदम सही होते हैं जब तापमान 22 डिग्री सेल्सियस और 35 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। फूलों से लदी खूबसूरत पगडंडियों पर ट्रेकिंग टूर के लिए भी यह आदर्श समय है। अधिकांश पर्यटक इस समय धर्मशाला जाना पसंद करते हैं इसलिए यह सबसे अधिक भीड़भाड़ वाला स्थान भी है।
फरवरी या मार्च में होने वाले बौद्ध लोसार महोत्सव के आसपास अपनी यात्रा की योजना बनाना एक अच्छा विचार है।
मध्य जुलाई से मध्य सितंबर: यदि आप पहाड़ियों में रोमांटिक बारिश का आनंद लेने के इच्छुक हैं, तो मध्य जुलाई से सितंबर आपके लिए अच्छा समय है जब पहाड़ अपने सबसे हरे भरे होते हैं। लेकिन याद रखें कि मानसून में इलाके काफी मुश्किल हो सकते हैं, इसलिए आपको लगातार बारिश के कारण सड़क जाम के लिए तैयार रहना होगा। लैंडस्लाइड और क्लाउडबस्ट यानी बादल फटने की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। इसलिए इन बातों का विशेष ध्यान रखें।
मध्य सितंबर से नवंबर: मध्य सितंबर के आसपास बारिश रुक जाती है और मौसम दर्शनीय स्थलों की यात्रा के साथ-साथ ट्रेकिंग जैसी अन्य एडवेंचर गतिविधियों के लिए सुखद होता है। लेकिन ध्यान रखें कि इस समय रातें सर्द होने लगती हैं इसलिए आपको खुद को गर्म रखने के लिए पर्याप्त लेयर में कपड़े अवश्य रखने चाहिए।
दिसंबर से फरवरी: धर्मशाला में सर्दियां जमाने वाली होती हैं, लेकिन अगर आप ठंडे और बर्फ-सफेद पहाड़ों का आनंद लेना चाहते हैं, तो यह घूमने का एक खूबसूरत समय है। इस दौरान यहां बर्फबारी होती है और तापमान -1 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है। बहुत सारे ऊनी कपड़े ले जाना और सर्द हवाओं से खुद की सुरक्षा करना याद रखें।
Dharamshala Mcleodganj Travel Guide: अनुकूल मौसम और आसपास के पर्यटन स्थलों के कारण मैकलोडगंज ज्यादा बेहतर, बल्कि प्रमुख पर्यटक आकर्षण है, धर्मशाला नहीं। धर्मशाला एक स्थानीय निवास है, और मैकलोडगंज एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।
धर्मशाला और मैक्लोडगंज में कहां ठहरें? (where to stay in dharamshala mcleodganj)
धर्मशाला और मैक्लोडगंज दोनों एक कॉमर्शियल प्लेस हैं। यहां ठहरने के लिए एक से बढ़कर एक जगहें हैं। बजट से लेकर लग्जरी जगहों तक आपको सारे विकल्प मिल जाएंगे।
धर्मशाला या मैकलोडगंज में रहो !! दोनों अच्छी जगहे हैं। मैं सलाह दूंगा कि आप मैक्लोडगंज से थोड़ा आगे भागसू नाग में ठहरें। यहां समय बिताने के अच्छे स्थान हैं। एक ओपन स्विमिंग पूल है जो रनिंग वॉटर से बना है। आप भागसूनाथ, नड्डी, डल झील, धर्मकोट और कई अन्य खूबसूरत जगहों की यात्रा कर सकते हैं।
स्प्रिंग वैली रिसॉर्ट धर्मशाला (भागसू) (spring valley resort dharamshala)
स्प्रिंग वैली रिसॉर्ट्स खुद को भागसू नाग, मैक्लोडगंज में सबसे खूबसूरत रिसॉर्ट्स में से एक के रूप में पेश करता है। इसमें सभी आधुनिक सुविधाओं के साथ 24 से ज्यादा कमरे हैं। यह एक लग्जरी रिसॉर्ट में आता है।
मेघवन रिसॉर्ट धर्मशाला (meghavan resort Dharamshala)
मेघवन हॉलिडे रिजॉर्ट, सबसे अच्छे होटल में से एक और धर्मशाला का सबसे पुराना रिसॉर्ट है जो भागसूनाग के सुरम्य और सुंदर स्थान पर स्थित है।
Dharamshala Mcleodganj Travel Guide: पीक सीजन में होटल पहले से बुक करना ठीक रहेगा। वैसे यहां बहुत से रुकने की जगहे हैं तो होटल के लिए दिक्कत नहीं आएगी।
धर्मशाला और मैक्लोडगंज में करने के लिए चीजें (Things to Do in Dharamshala McLeod Ganj)
धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम (dharamshala cricket stadium)
हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम, जिसे एचपीसीए स्टेडियम के रूप में भी जाना जाता है, यह धर्मशाला, (कांगड़ा जिले) शहर में स्थित एक सुरम्य क्रिकेट स्टेडियम है। धर्मशाला शहर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तिब्बत के दलाई लामा के घर के रूप में जाना जाता है। लेकिन यहां आने वाले लोग इस स्टेडियम को जरूर देखने जाते हैं। बेहद खूबसूरत स्टेडियम है। एंट्री फीस- 30 रुपये पर पर्सन।
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डल झील धर्मशाला (Dal Lake in Dharamshala)
श्रीनगर के अलावा एक डल झील धर्मशाला में भी है। हालांकि इस समय (अप्रैल 2022) में ये झील सूखी हुई थी। यह खूबसूरत झील 1,775 मीटर की ऊंचाई पर हरे-भरे देवदार के जंगलों के बीच स्थित है और शांतिपूर्ण परिवेश में स्थित है। मैक्लोडगंज मार्केट से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, डल झील कुछ ही पैदल दूरी पर है और ट्रेकर्स के लिए एक प्रमुख आकर्षण भी है क्योंकि यह कई ट्रेकिंग कैंपेन के लिए बेस कैंप के रूप में कार्य करता है। लेकिन अगर आप पूरे रास्ते चलना नहीं चाहते हैं, तो आप कार या टैक्सी से भी जा सकते हैं। झील को भगवान शिव के एक लोकप्रिय मंदिर के लिए भी जाना जाता है जो इसके तट पर स्थित है।
धर्मशाला में कांगड़ा का किला (Kangra Fort in Dharamshala)
कांगड़ा किला वास्तुकला का एक राजसी नमूना है, जिसका निर्माण कांगड़ा के शाही परिवार द्वारा किया गया था और यह लगभग चौथी शताब्दी ईसा पूर्व का है। यह हिमालय का सबसे बड़ा किला माना जाता है और भारत के सबसे पुराने किलों में से एक है।
यह प्राचीन किला धर्मशाला से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और इसमें कुछ मंदिर हैं जहां सात द्वारों से होकर पहुँचा जा सकता है। कांगड़ा किले का एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण यहां से मांझी और बाणगंगा नदियों का शानदार दृश्य दिखाई देता है। किले के ठीक बगल में महाराजा संसार चंद कटोच संग्रहालय भी है, जो कांगड़ा के शाही परिवार द्वारा चलाया जाता है।
एंट्री फीस- 100 रुपये प्रति व्यक्ति
धर्मशाला में भागसूनाग फॉल (Bhagsunag Falls in Dharamshala)
इसे भागसू फॉल भी कहा जाता है। इस स्थल में प्रसिद्ध भागसूनाथ मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह एक प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण है और हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थान है।
करीब 20 मीटर ऊंचे झरने वाले फॉल, विशेष रूप से मानसून के दौरान देखने के लिए एक अद्भुत चमत्कार है। झरने के बगल में एक अच्छा कैफेटेरिया है और यह क्षेत्र पर्यटकों के लिए एक उत्कृष्ट पिकनिक स्थल के रूप में कार्य करता है। भागसुनाग फॉल मैक्लोडगंज से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और ट्रेक के दौरान सबसे अच्छी यात्रा है, हालाँकि आप भागसू गाँव तक भी जा सकते हैं। मैं भागसू गाँव में ही ठहरा था। मैक्लोडगंज से पैदल का रास्ता आसान है।
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धर्मशाला में नामग्याल मठ (Namgyal Monastery in Dharamshala)
जब आप धर्मशाला में होते हैं तो त्सुगलग खांग परिसर और नामग्याल मठ का दौरा जरूर करना चाहिए, जो दलाई लामा का घर है, और तिब्बत के बाहर सबसे बड़ा तिब्बती मंदिर भी है।
नामग्याल मठ की स्थापना मूल रूप से 16वीं शताब्दी के तिब्बत में दूसरे दलाई लामा द्वारा की गई थी। मठ की स्थापना इसलिए की गई ताकि नामग्याल भिक्षु सार्वजनिक धार्मिक मामलों में दलाई लामाओं की सहायता कर सकें, तिब्बत के कल्याण के लिए अनुष्ठान प्रार्थना समारोह कर सकें और गहन बौद्ध ग्रंथों पर सीखने और ध्यान के केंद्र के रूप में कार्य कर सकें।
1959 में तिब्बत पर चीनी आक्रमण के बाद, जब परम पावन 14वें दलाई लामा को भारत में शरण दी गई थी, तब तिब्बती संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित और जारी रखने के लिए यहां मठ को फिर से स्थापित किया गया था।
यहां के भिक्षु प्रशिक्षण के एक कठोर और सुव्यवस्थित पाठ्यक्रम से गुजरते हैं, जिसमें दर्शन, पवित्र कला, ध्यान और वाद-विवाद का अध्ययन शामिल है। यहां तक कि जो लोग विशेष रूप से धर्म की ओर झुकाव नहीं रखते हैं, वे भी परिसर के चारों ओर के शांत वातावरण और बुद्ध की भव्य आकृतियों से मोहित हो जाएंगे।
धर्मशाला में त्यौहार (Festivals in Dharamshala)
बौद्ध धर्म से काफी हद तक प्रेरित होने के कारण, धर्मशाला बुद्ध पूर्णिमा के दौरान उत्सव से भर जाती है, जो बौद्ध धर्म के संस्थापक – भगवान बुद्ध की जन्म तिथि का प्रतीक है। चूंकि अधिकांश स्थानीय लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं, इसलिए बुद्ध पूर्णिमा के आसपास पूरा शहर उल्लास और उत्साह के साथ जीवंत हो उठता है।
धर्मशाला में ग्युतो मठ (Gyuto Monastery in Dharamshala)
तिब्बत में सबसे प्रसिद्ध मठों में से एक, ग्युतो मठ तांत्रिक ध्यान, तांत्रिक अनुष्ठान कला और बौद्ध दर्शन के अध्ययन के लिए जाना जाता है। इसकी स्थापना 1474 में तिब्बत में प्रथम दलाई लामा के मुख्य शिष्य जेत्सुन कुंगा धोंडुप ने की थी। 1959 में कम्युनिस्ट चीनी आक्रमण के बाद, भारत में मठ को फिर से स्थापित किया गया था।
यहां के भिक्षु गुह्यसमाज, चक्रसंवर और यमंतक सहित प्रमुख तांत्रिक ग्रंथों का अभ्यास करते हैं। उन्होंने 500 से अधिक वर्षों से इन वंशों को भिक्षुओं की युवा पीढ़ी को हस्तांतरित किया है। मठ के मुख्य कक्ष में बुद्ध की एक राजसी मूर्ति है और बर्फ से ढके पहाड़ों की पृष्ठभूमि के साथ, यह दोपहर बिताने के लिए एक अत्यंत शांत और शांतिपूर्ण जगह है।
धर्मशाला में दलाई लामा मंदिर परिसर (The Dalai Lama Temple Complex in Dharamshala)
दलाई लामा मंदिर परिसर ऊपरी धर्मशाला में स्थित एक सुंदर और शांतिपूर्ण स्थान है, जो मैक्लोडगंज बस स्टैंड से कुछ ही दूरी पर है। रंगीन प्रार्थना झंडों से सजाया गया, यह लंबी शांत सैर, या जप भिक्षुओं के साथ सुबह-सुबह ध्यान करने के लिए एकदम सही है।
धर्मशाला युद्ध स्मारक (Dharamshala War Memorial in Dharamshala)
युद्ध स्मारक उन युद्ध नायकों की स्मृति को याद कराता है जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए बहादुरी से लड़ाई लड़ी और इसकी रक्षा में अपने प्राणों की आहुति दे दी। हरे-भरे देवदार के पेड़ों के बीच में स्थित, स्मारक एक शांतिपूर्ण और देशभक्तिपूर्ण स्थान है जिसे लॉन और कलात्मक भूनिर्माण से सजाया गया है। आप आसानी से क्षेत्र में घूमने में एक या दो घंटे बिता सकते हैं। वहीं पर आपको पास में मौजूद जीपीजी कॉलेज भी देखना चाहिए, जो ब्रिटिश काल में बना था।
धर्मशाला में चाय बागान (Tea Gardens in Dharamshala)
हिमाचल में कांगड़ा घाटी अपने खूबसूरत प्राकृतिक परिदृश्य और धौलाधार की शानदार पहाड़ी रेंज के लिए जानी जाती है। इस क्षेत्र की तलहटी में आपको भारत का सबसे छोटा चाय क्षेत्र मिलेगा।
एक एकड़ भूमि में फैले चाय के बागान एक प्राकृतिक स्थल हैं। यहां करने के लिए बहुत कुछ नहीं है, लेकिन आप यहां शांतिपूर्ण वातावरण में भीगते हुए आसानी से कुछ घंटे बिता सकते हैं। आप यहां से कुछ ताजी माउंटेन टी भी ले सकते हैं।
त्रिउंड ट्रेक (Triund Trek)
अगर आप ट्रेकिंग के शौकीन हैं और एक दिन में कुछ एडवेंचर करना चाहते हैं तो त्रिउंड ट्रेक जरूर करें। यह एक दिन में की जाने वाली ट्रेक है, और कठिनाई का स्तर आसान से मध्यम माना जाता है। त्रिउंड ट्रेक में लहरदार और खड़ी रास्ते और अच्छी तरह से दिखने वाले ट्रेल्स हैं जो ओक के पेड़ों और हरे रोडोडेंड्रोन के जंगलों से होकर गुजरते हैं।
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त्रिउंड ट्रेक कितनी लंबी है? (How much long is triund Trek?)
करीब 10 किलोमीटर की त्रिउंड ट्रेक दूरी में खड़ी चढ़ाई और आसान चढ़ाई दोनों शामिल हैं। भागसू नाग से त्रिउंड ट्रेक कंपलीट करने में एक फिट व्यक्ति को करीब 5 घंटे लग सकते हैं।
क्या हम अकेले त्रिउंड ट्रेक कर सकते हैं? (Can we do triund trek alone?)
त्रिउंड ट्रेक शायद हिमालय में करने के लिए सबसे आसान ट्रेक में से एक है और यदि आप गल्लू देवी मंदिर से शुरू होने वाली पगडंडी से जा रहे हैं तो इसे अपने आप किया जा सकता है। आपको कोई गाइड लेने की जगह नहीं है। हर मौसम में लोग यहां रास्ते में दिख जाएंगे।
क्या त्रिउंड ट्रेक लड़कियों के लिए सुरक्षित है? (Is Triund Trek safe for girls?)
क्या त्रिउंड ट्रेक सुरक्षित है? बिल्कुल, यह ट्रेक सुरक्षित है और अकेले और महिला ट्रेकर्स के बीच भी बहुत आम है। इस ट्रेक की खूबी यह है कि इसे करना बच्चों के लिए भी सुरक्षित है। पानी की बोतलें और स्नैक्स का स्टॉक साथ जरूर रखें और आप जाने के लिए तैयार हैं।
धर्मशाला और मैक्लोडगंज वीकेंड ट्रिप के लिए बजट क्या होना चाहिए?
मैंने अपना बताता हूं। मैने दिल्ली से शुक्रवार की रात 8 बजकर 50 मिनट पर कश्मीरी गेट से वॉल्वो बस पकड़ी। बस ने धर्मशाला सुबह साढ़े 7 बजे के करीब पहुंचा दिया। वहां से मैक्लोडगंज जाने में आधा घंटा लगा। किराया – 1450 रुपये।
मैक्लोडगंज पहुंचने के बाद भागसूनाग में होटल लिया। होटल का किराया- 1200 रुपये (इससे कम में भी मिल जाएंगे और ज्यादा बजट में भी मिल जाएंगे।)
भागसूनाग में दोपहर का भोजन किया- 250 रुपये।
भागसूनाग में भागसू फॉल घूमा और स्विमिंग पूल में जमकर नहाए। खर्चा- 00
दोपहर करीब 3 बजे टैक्सी ली धर्मशाला घूमने के लिए- खर्चा – 1200 रुपये
शाम में घूमकर वापस आए और डिनर किया। खर्चा- 500 रुपये (ये आप अपने बजट के हिसाब से तय कर सकते हैं)।
अगले दिन सुबह उठे और निकल गए त्रिउंद ट्रेक के लिए। खर्चा- फिलहाल 00
त्रिउंद ट्रेक के दौरान कई सारे कैफे पड़ते हैं तो वहां जाते और आते समय का खर्चा मान लीजिए- 1000 रुपये। (ये भी आप अपने बजट के हिसाब से तय कर सकते हैं)।
शाम में वापस आए और निकल गए मैक्लोडगंज। खर्चा- 00
मैक्लोडगंज से धर्मशाला और धर्मशाला से दिल्ली के लिए बस। खर्चा- 1450 रुपये।
टोटल खर्चा हुआ- 7050 रुपये।
(नोट: यह एक बेसिक बजट का प्लान है। आप इसे कम भी कर सकते हैं और बढ़ा भी सकते हैं।)
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धर्मशाला और मैक्लोडगंज को लेकर कुछ बेसिक सवालों के जवाब-
क्या मैकलोडगंज और धर्मशाला एक ही हैं? (Is Mcleodganj and Dharamshala same?)
अगर आपने इन शहरों के बारे में ज्यादा नहीं सुना है तो जान लीजिए कि मैक्लोडगंज धर्मशाला का एक हिस्सा है। मैक्लॉडगंज भी एक ऐसा स्थान है जिसे 14वें दलाई लामा अपना घर बुलाते हैं, और उनका घर देखने लायक है।
मैक्लोडगंज के लिए कितने दिन पर्याप्त हैं? (How many days is enough for Mcleodganj?)
मैक्लोडगंज ट्रिप के लिए हमें कितने दिन चाहिए? हिमाचल प्रदेश के इस पहाड़ी शहर को सबसे अच्छे से घूमने के लिए 3 से 4 दिन की यात्रा पर्याप्त होगी। वैसे वीकेंड भी खराब नहीं है।
कैसे करें स्पीति वैली की यात्रा; पढ़िए कंपलीट ट्रैवल गाइड
क्या स्पीति घाटी पर्यटकों के लिए सुरक्षित है?
स्पीति घाटी जाने का सबसे अच्छा समय कब है?
स्पीति वैली ट्रिप के लिए क्या कपड़े पैक करें?
स्पीति घाटी में एटीएम, मोबाइल नेटवर्क और डेटा कनेक्टिविटी कैसी है?