How to Go Spiti Valley by Bus लोग मुझ से अक्सर पूछते हैं कि “क्या मैं सार्वजनिक परिवहन यानी पब्लिक ट्रांसपोर्ट से स्पीति घाटी की बजट यात्रा कर सकता हूं?”। इसका सीधा सा जवाब है हां। मैंने जुलाई 2021 में बड़े ही आराम से स्पीती की यात्रा पब्लिक ट्रांसपोर्ट से की है। क्योंकि मुझे पता है कि बजट किसी भी यात्रा का एक अभिन्न अंग है और आप किसी भी ट्रिप की प्लानिंग से पहले बजट को जरूर ध्यान में रखते हैं। हालाँकि, एक बात याद रखना कि जब आप स्पीती का प्लान कर रहे हों दिन आपके पास पर्याप्त हों।
ठहरने और भोजन की लागत आप पर निर्भर करती है। आप कितने दिनों की स्पीती की यात्रा का प्लान बना रहे हैं उसी आधार पर पैसे खर्च होंगे। खैर, बिना किसी देरी से आपको बताता हूं कि बस से स्पीती की यात्रा (How to Go Spiti Valley by Bus) कैसे संभव है और बिना किसी झंझट के आप आराम से पूरी स्पीती घूम सकते हैं। इस लेख में मैं आपको स्पीती का पूरा रूट (Spiti Valley Route) और स्पीती में किस रूट पर कितनी बसें किस टाइम (Spiti Bus Timing) पर चलती हैं, उनका किराया (Spiti bus fare) क्या है और स्पीती में जब कहां-कहां तक जाती हैं।
कैसे करें स्पीति वैली की यात्रा; पढ़िए कंपलीट ट्रैवल गाइड
क्या स्पीति घाटी पर्यटकों के लिए सुरक्षित है?
स्पीति घाटी जाने का सबसे अच्छा समय कब है?
स्पीति वैली ट्रिप के लिए क्या कपड़े पैक करें?
स्पीति घाटी में एटीएम, मोबाइल नेटवर्क और डेटा कनेक्टिविटी कैसी है?
स्पीती घाटी सर्किट को पूरा करने के लिए दो रूट हैं। एक रूट है दिल्ली-मनाली-स्पीती-शिमला-दिल्ली है। दूसरा इसके उलट, और ये रूट सबसे कॉमन है क्योंकि ये साल के लगभग 12 महीने खुला रहता है और ये रूट है दिल्ली-शिमला-स्पीती-मनाली-दिल्ली। आज मैं इसी रूट के हिसाब से आपको पूरा बस प्लान बता रहा हूं।
मैंने स्पीती की अपनी यात्रा दिल्ली से शुरू की थी। तो मैं स्टार्टिंग प्वाइंट दिल्ली को मान लेता हूं। दिल्ली से स्पीती जाने के लिए आपको पहले किन्नौर पहुंचना होगा। दिल्ली से किन्नौर यानी रिकांग पियो के लिए बस हर रोज रात 8 बजकर 10 मिनट पर कश्मीरी गेट से चलती है। दिल्ली से रिकांग पियो के लिए बस ऑनलाइन भी बुक कर सकते हैं।
दिल्ली से रिकांग पियो का किराया (DELHI ISBT KASHMIRI GATE to RECONGPEO Fare) 1,057 रुपये है। बता दें कि ये सफर काफी लंबा होने वाला है। ये बस दिल्ली से रात में 8 बजकर 10 मिनट पर चलती है और अगले दिन 3 बजे (अगर मौसम और रोड ठीक है तो) रिकांग पियो पहुंचती है। यानी की दिल्ली से रिकांग पियो बस से करीब 19 घंटे लगते हैं। ये आपकी स्पीती यात्रा का पहला दिन है। आज रिकांग पियो पहुंचने के बाद यहीं रुकें। शरीर को आराम दें।
रिकांग पियो बस स्टैंड के पास ही एक होटल है। वहां ठहर सकते हैं। हालांकि ये केवल बेसिक होटल है। अगर आप एक अच्छे होटल की तलाश में हैं तो थोड़ा ऊपर यानी कल्पा जा सकते हैं। कल्पा में अनेकों होटल हैं। मैंने यही विकल्प चुना और कल्पा जाकर रुका। अगर मौसम ठीक है तो आपके पास सुसाइट प्वाइंट जाने का भी वक्त होगा। सुसाइट प्वाइंट रोघी गांव की तरफ है और कल्पा से करीब तीन से चार किलोमीटर दूरी पर होगा। ये एक टूरिस्ट प्वाइंट है।
स्पीती यात्रा का अगला पड़ाव ताबो है। लेकिन उससे पहले आप नाको गांव भी घूमना चाहेंगे जहां एक बेहद खूबसूरत झील है। इसके लिए आपको सुबह 5.30 पर बस पकड़नी होगी जोकि रिकांग पियो से काजा के लिए चलती है और सुबह करीब 9 से 10.30 बजे के बीच आपको नाको पहुंचा देगी।
इसलिए अगर आपको नाको पूरा घूमना है तो रिकांग पियो से 5.30AM की बस पकड़ें। वैसे अगर ये बस छूट भी जाती है तो एक और बस है जो सुबह 9 बजे चलती है और केवल ताबो तक जाती है। नाको गांव ताबो के बीच में पड़ता है। सुबह 9 बजे वाली बस नाको करीब डेढ़ से 2 बजे के बीच पहुंचती है।
अगर आपके पास समय अच्छा खासा है तो आप इस दिन नाकों में ठहरिए। लेकिन मैं नाको के बजाय ताबो गया था। तो कुल मिलाकर प्लान ये होना चाहिए कि आप सुबह 5.30 की बस पकड़ें और नाको पहुंचकर घूमें और फिर जब अगली बस 2 बजे नाको पहुंचे तो उसमें बैठकर ताबो चले जाएं और इस दिन ताबो में ठहरें।
ताबो स्पीती में पड़ता है। यहां ठहरने के लिए हर तरह के विकल्प हैं। बेहद खूबसूरत गांव है। आप महंगा होटल भी ले सकते हैं और सस्ता होमस्टे भी। मैंने जो होटल लिया था उसके लिए मैंने एक रात का 1000 रुपये पे किए थे। खाना आपको अलग से खाना होता है। वैसे होमस्टे में आपको खाने का विकल्प भी मिलता है।
रिकांग पियो से ताबो बस का किराया 389 रुपये है। ये नॉर्मल किराया है। हिमाचल प्रदेश महिलाओं के लिए किराए में 25 प्रतिशत की छूट देता है। इसलिए रिकांग पियो से ताबो के लिए महिला का किराया 293 रुपये है।
डंकर गांव के लिए कोई बस नहीं जाती है। हालांकि यहां तक पहुंचने के लिए आपके पास अन्य विकल्प मौजूद हैं। दरअसल ताबो गांव टूरिस्ट के लिए एक पड़ाव वाला गांव है जहां लोग एक रात रुकर आगे की यात्रा करते शुरू करते हैं। इसलिए अगर आपको ताबो से डंकर गांव जाना है तो आप किसी भी अन्य टूरिस्ट से लिफ्ट ले सकते हैं। अगर आपको लिफ्ट नहीं मिलती है तो आप अपने होटल वाले से मालूम करके टैक्सी कर सकते हैं। टैक्सी वाला आपसे करीब 900 रुपये से 1500 के बीच लेगा। याद रहे कि ताबो में कोई टैक्सी यूनियन नहीं है इसलिए टैक्सी मिल जाए इसकी गारंटी नहीं है।
अब आते हैं सबसे अहम विकल्प पर। ताबो से होकर काजा के लिए दो बसें निकलती हैं। सबसे पहली बस सुबह 9 से 10 के बीच ताबो आती है। आपको अगर डंकर गांव जाना है तो आप यही बस पकड़िए और सिचलिंग जाकर उतर जाइए। सिचलिंग में डंकर मोड़ पर उतरिए। ताबो से सिचलिंग की दूरी 25 किलोमीटर है। सिचलिंग से ऊपर के लिए एक रोड जाती है डंकर गांव के लिए। सिचलिंग से डंकर की दूरी करीब 9 से 10 किलोमीटर है। आप चाहें तो पैदल निकल सकते हैं। हालांकि ये बिल्कुल सीधी चढ़ाई होने वाली है। रोड शानदार है।
इसके अलावा आप वहीं मोड़ पर बैठकर थोड़ी देर इंतजार भी कर सकते हैं। तमाम टूरिस्ट डंकर जाते हैं। आप किसी से भी लिफ्ट लेकर डंकर गांव जा सकते हैं। टूरिस्ट सीजन में आसानी से लिफ्ट मिल जाती है। नहीं तो लेकल भी जाते रहते हैं उस तरफ।
ताबो से सिचलिंग तक के लिए बस का करिया 36 रुपये है। डंकर पहुंचने के बाद आप चाहे तो आज रात यहीं रुकिए। डंकर बहुत खूबसूरत गांव है। कहते हैं कि कभी डंकर गांव स्पीती की ‘राजधानी’ हुआ करता था। यहां आप काफी समय रहते पहुंच जाएंगे। इसलिए इस जगह को खूब एक्सप्लोर कीजिए। यहां की सबसे खूबसूरत जगह है डंकर झील। ये प्रकृतिक झील एक छोटी लेकिन सीधी चढ़ाई के बाद देखने को मिलती है। हालांकि दो से तीन घंटे में आप झील तक पहुंच जाएंगे। इसके अलावा आप डंकर की पुरानी मोनेस्ट्री को भी देख सकते हैं।
डंकर गांव में ठहरने के लिए कई विकल्प हैं। हालांकि सभी होमस्टे ही हैं। सभी अच्छे हैं। इसके अलावा चाहे तो नई मोनेस्ट्री में भी रुक सकते हैं। हालांकि यहां आपको मोनेस्ट्री के अंदर नहीं रुकने को मिलेगा। मोनेस्ट्री के बगल में ही एक गेस्ट हाउस है। अच्छा है। लेकिन मैं सलाह दूंगा कि आप डंकर गांव के अंदर जाकर किसी होम स्टे में ठहरें। डंकर में आपको 500 से लेकर 800 रुपये पर नाइट के हिसाब से शानदार होमस्टे मिल जाएगा।
(डंकर ट्रिप को लेकर कोई भी सवाल है को आप नीचे कमेंट बॉक्स में जाकर पूछ सकते हैं या मुझे इंस्टाग्राम पर मैसेज कर सकते हैं)
इस दिन आप सुबह – सुबह उठिए और डंकर गांव से वापस सिचलिंग पहुंचिए। वैसे इस बार अगर आपको लिफ्ट नहीं मिलती है तो पैदल भी चलेंगे तो ज्यादा नहीं थकेंगे। इस बार आपको ढलान मिलेगी। डंकर से सिचलिंग के लिए एक शॉर्टकट भी है। अगर आप किसी लोकल से पूछेंगे तो वो आपको शॉर्टकट बता देगा जिससे आप जल्दी सिचलिंग पहुंच जाएं।
सिचलिंग गांव जाकर आपको वही बस पकड़नी है जिससे आप पिछले दिन डंकर जाने के लिए उतरे थे। यानी आपको हर हाल में सिचलिंग गांव सुबह 11 बजे से पहले पहुंचना होगा। यहां पहुंचकर बस पकड़िए और आज काजा जाइए।
मैंने कई लोगों को सुना है कि वे इस दिन आपको पिन वैली जाने की सलाह देते हैं। लेकिन मैं कहूंगा कि आप इस दिन काजा जाइए। क्योंकि पिन वैली जाने के लिए फिर आपको बस का लंबा इंतजार करना होगा। इसके बारे में डिटेल से जानकारी के लिए नीचे दिया हुआ लेख पढ़ें।
खैर, काजा पहुंचकर एक बढ़िया सा होटल या होमस्टे लीजिए। बता दें कि काजा एक बेहद ही कॉमर्शियल प्लेस है। यानी आपको यहां हर वो चीज मिल जाएगी जिसकी आपको जरूरत होगी। आज काजा में रुकिए और काजा को एक्सप्लोर कीजिए। आपके पास अच्छा खासा समय होगा आज काजा घूमने का।
जैसा कि मैंने ऊपर कहा है कि काजा में ठहरने के अनेक विकल्प हैं। मैं हालांकि बहुत ज्यादा थका हुआ था इसलिए मैंने मेन मार्केट में घुसते ही होटल ले लिया। होटल का नाम था कुंजुम स्पीती। रुकने की व्यवस्था अच्छी थी। इसका एक रात का चार्ज मैंने 1000 रुपये दिया। खाना अलग से होता है। हालांकि मैंने खाना रात में बाहर खाया था।
हालांकि मैं आपको सलाह दूंगा कि आप काजा में थोड़ा अंदर जाएं और वहां होमस्टे, गेस्टहाउस या होटल लें। क्योंकि वो आपके बजट के अनुरूप बेहतर होंगे।
यहां खाने की कई विकल्प हैं। अगर आपका बजट ठीक है तो ‘द हिमालयन कैफे’ एक बार जरूर ट्राई करें। बेहद शानदार स्टाफ और खाना भी लाजबाव होता है इनका। हालांकि रात में आपको सीट खाली मिल जाए ये आपकी किस्मत पर निर्भर करेगा। काफी भीड़ हो जाती है यहां। इसके अलावा अगर आप लोकल डिशेस ट्राई करना चाहते हैं तो प्लीज Cafe Piti जरूर ट्राई करें। ये भी बिल्कुल मेन मार्केट में है। इन सबसे अलावा आपको लगभग हर नुक्कड़ पर एक लेस्टोरेंट मिल जाएगा खाने के लिए।
काजा में क्या क्या खाएं इसके लिए ये आर्टिकल भी पढ़ सकते हैं:- कैसे करें स्पीति वैली की यात्रा; पढ़िए कंपलीट ट्रैवल गाइड
ये दिन आपकी यात्रा का अगला सबसे बेहतरीन दिन होने वाला है। मुझे पूरी स्पीती वैली में पिन वैली सबसे ज्यादा आकर्षक लगी लेकिन समय की कमी के चलते मैं यहां केवल एक रात ही बिता पाया। खैर, काजा से हर रोज शाम में 4 बजे पिन वैली के लिए बस चलती है। बता दें कि पिन वैली के लिए केवल इकलौती यही बस जाती है। पिन वैली का आखिरी गांव जहां तक बस जा सकती है वह है मुध या मढ (Mudh or Mud) गांव।
काजा से मुध गांव का किराया 123 रुपये सामान्य और महिला के लिए 93 रुपये है। ये बस आपको शाम में 7 बजे मुध गांव पहुंचा देगी। अब अगर आपके पास समय रहता है तो मुध गांव एक्सप्लोर कीजिए। इस गांव की खूबसूरती को मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता।
अब आते हैं सबसे मेन प्वाइंट पर। दरअसल जो बस पिन वैली के मुध गांव शाम में 7 बजे पहुंचती है वही बस अगले दिन सुबह साढ़े 6 बजे वापस काजा के लिए निकलती है। इसके अलाव आपके पास पब्लिक ट्रांसपोर्ट का और कोई विकल्प नहीं है। तो अगर आप पिन वैली को और अच्छे से एक्सप्लोर करना चाहते हैं तो आप अगले दिन यहीं रुकिए और फिर उसके अगले दिन सुबह निकल जाइए बस से।
हालांकि मैंने जुलाई में इस गांव की यात्रा की थी इसलिए शाम में 7 बजे भी काफी अच्छा खासा ‘दिन’ बचा हुआ था और मैंने गांव भी अच्छे से कवर कर लिया था। दूसरी बात कि मेरे पास समय नहीं था एक और दिन रुकने का। इसलिए मैं अगले दिन सुबह फिर उसी बस से वापस काजा निकल गया।
मुध गांव काफी रिमोट एरिया है। सर्दियों में पिन वैली के अधिकतर गांव बाकी के हिस्से से कट जाते हैं जिनमें मुध गांव भी शामिल है। लेकिन फिर भी आपको इस गांव में ठहरने के शानदार विकल्प मिल जाएंगे। मैंने रुका था आईबेक्स गेस्टहाउस (Ibex guest house) में। यहां इन्होंने एक रात का मुझसे 600 रुपये लिए थे। खाना अलग से था। उसका अलग से पे करना होता है। सोचिए पीक सीजन में मात्र 600 रुपये वो भी एक शानदार होटल की तरह दिखने वाले रूम के लिए। इससे सस्ता और क्या होगा। आप चाहे तो इसके जस्ट सामने तारा होमस्टे / रेस्टोरेंट में भी रुक सकते हैं। बहुत ही शानदार व्यवस्था है और भी कई विकल्प हैं यहां रुकने के।
मैंने इस दिन सुबह साढ़े 6 बजे वाली वही बस पकड़ी और 9 बजे से पहले काजा पहुंच गया। काजा पहुंचने के बाद आपके पास दो विकल्प हैं। अगर आपके पास समय है तो आप आज फिर काजा रुकिए या फिर मेरी तरह लोकल साइट सीइंग के लिए निकल जाइए।
काजा में टूरिस्ट सीजन के दौरान (जुलाई, 2021) टैक्सी यूनियन वालों की दादागिरी चल रही थी। पहले काजा में आपको बाइक रेंट पर मिल जाती थीं। लेकिन टैक्सी यूनियन ने सब बंद करा दिया और आप लोकल में घूमने के लिए केवल टैक्सी से ही जा सकते हैं। इसलिए मैंने भी लोकल गांवों में जाने के लिए टैक्सी ली। एक दिन में 6 गांव घुमाते हैं और उसके लिए ये लोग 3500 रुपये लेते हैं। हालांकि आप चाहे तो कम जगहों पर भी जा सकते हैं और उसी हिसाब से चार्ज कम लिया जाता है।
स्पीति घाटी जाने का सबसे अच्छा समय कब है?
बेचारे जो लोग बाइक रेंट पर देने का बिजनेस कर रहे थे वो अब खाली हाथ बैठे हैं। जब मैंने टैक्सी यूनियन वालों से उनका फेयर चार्ट मांगा तो उन्होंने उसका फोटो क्लिक करने से मना कर दिया। इसका मतलब है कि कोई घपला चल रहा है। खैर, आप कुछ कर नहीं सकते। वैसे मुझे बताया गया है कि अगले साल यानी 2022 तक यहां बाइक वालों की भी यूनियन होगी यानी पीली प्लेट वाली बाइकें होंगी और टूरिस्ट को रेंट पर मिल जाया करेंगी।
खैर, मैंने उसी होटल में जहां मैं एक रात रुक चुका था, रूम लिया और बात करके अपना बैगपैक रखा और जरूरी सामान एक छोटे बैग में रखकर टैक्सी वालों के पास गया। 3500 रुपपे देकर टैक्सी की और घूमने निकल गया लोकल में।
सबसे पहला गांव जहां मैं गया वो था लांग्जा (Langza), यहां भगवान बुद्ध की काफी प्यारी बड़ी सी प्रतिमा लगी है। लांग्जा का नाम लांग मंदिर से लिया गया है। ये गांव बेहद छोटा लेकिन अद्भुत खूबसूरत है। समुद्र तल से 4,400 मीटर की ऊँचाई पर स्थित लांग्जा गाँव में सिर्फ 137 लोग ही रहते हैं। स्पीती के लगभग हर गांव में आपको कोई न कोई मोनेस्ट्री जरूर मिल जाएगी और उसका अपना अलग इतिहास होगा। यहाँ के ज्यादातर घर तिब्बतन शैली के बने हुए हैं। बुद्ध की ये मूर्ति पहाड़ों की तरफ नजर रखे हुए है। स्पीती जाने वाला लगभग हर कोई इस गाँव जरूर जाता है। आप चाहे तो यहाँ स्टे भी कर सकते हैं। कई सारे होमस्टे हैं यहाँ।
लांग्जा गांव में करीब दो घंटे बिताने के बाद हम निकल गए कॉमिक गांव की तरफ। हिमाचल के स्पीति घाटी में बसा कॉमिक गांव दुनिया के सबसे ऊंचाई पर बसे गांवों में से एक है। इसके नाम उपलब्धि यह है कि ये दुनिया का ऐसा सबसे ऊंचा गांव है, जहां वाहन जाने के लिए रास्ता है। यह गांव 15537 फीट की ऊंचाई पर स्थिति है।
यह गांव इतनी ऊंचाई पर है कि यहां से चीन अधिकृत तिब्बत की सीमा से सटे पहाड़ दिखाई पड़ते हैं। ये गांव भी सर्दियों में महीनों तक दुनिया से कट जाता है। और गांव में राशन की दुकान या डिपो नहीं है। इसलिए लोग बर्फबारी से पहले छह माह का राशन एक साथ जुटा लेते हैं। कॉमिक गांव में एक बेहद ही ऐतिहासिक मोनेस्ट्री है। जब मैं यहां गया था तो प्रेयर चल रही थी।
कॉमिक में ‘दुनिया के सबसे ऊंचे रेस्टोरेंट’ में मस्त मैगी खाने और चाय पीने के बाद हम निकल गए बगल के गांव हिक्किम में।
हिक्किम गांव स्पीती का खासा फेमस गांव है। यहां दुनिया का सबसे ऊंचाई पर स्थिति पोस्ट ऑफिस है। इस डाकघर से अक्सर टूरिस्ट अपने प्रियजनों को चिट्ठियां भेजते हैं। यह गांव स्पीति घाटी में काज़ा से 46 किमी दूर स्थित है। इस पोस्ट ऑफिस की शुरुआत 1983 में हुई थी।
यह पोस्ट ऑफिस कई गांवों के लोगों को दुनिया से जोड़ता है। लोग यहां चिट्ठियां डालने और पैसा जमा करने आते हैं। यहां के जो डाकिया हैं उनका नाम रिंचेन शेरिंग है और वे ही पिछले 38 सालों से इस डाकखाने के पोस्ट मास्टर हैं। वो तब से ये पोस्ट ऑफिस चला रहे हैं, जब ये 1983 में खुला था। यह डाकघर साल में छह माह भारी बर्फबारी के कारण बंद रहता है। इसलिए सर्दियों में चिट्ठियां देरी से पहुंच पाती हैं।
टूरिस्ट सीजन में यहां डाक टिकट मिलना मुश्किल हो जाता है इसलिए आप शायद ही किसी को चिट्ठी भेज पाएं। लेकिन फिर भी ट्राई तो कर ही सकते हैं। इसके अलावा आपके पास दूसरा विकल्प ये भी है कि आप डाक टिकट न होने की अवस्था में रजिस्ट्री करा सकते हैं। यानी जब टिकट उपलब्ध होगा तो डाकिया उसे भेज देगा।
सबसे ज़रूरी बात। जिसे भी आपको ख़त भेजना है उसका ऐड्रेस पहले से लिखकर ले जाएँ। यहाँ कुछ भी सर्च करने के लिए इंटरनेट नहीं है। मैंने बिना पिन कोड के दो तीन लोगों को ऐसे हाई भेज दिया। पता नहीं जाएगा भी या नहीं। खैर, यहां काफी देर तक घूमने और आराम करने के बाद हम निकल गए दूसरे रूट की तरफ, बोले तो चिचिम ब्रिज की तरफ।
एशिया का सबसे ऊंचाई पर बना 120 मीटर सबसे लंबा भव्य पुल चिचम में है। साढ़े 5 करोड़ की लागत से तैयार इस पुल को बनाने में लम्बा समय जरूर लगा था लेकिन इसके बन जाने से क्योटो चिचम काजा से जुड़ गया है। यही नहीं, अब ये गांव एक फेमस टूरिस्ट डेस्टीनेशन बन चुका है।
लाहौल स्पीति के चिचम गांव को जोड़ने वाला यह पुल 14 हजार फुट की ऊंचाई पर सांबा-लांबा नाले पर बना है। यह 120 मीटर लंबा, 150 मीटर ऊंचा है। इसको बनने में 16 साल लगे हैं। काजा और चिचम के बीच की दूरी 60 किलोमीटर थी। पुल बनने से गांव और काजा उपमंडल के बीच की दूरी 25 किमी कम हो गई है।
स्पीती आने वाला लगभग हर टूरिस्ट यहां आता है और फोटो क्लिक कराता है। हमने भी घंटों पुल पर बिताने के बाद रुख किया किब्बर गांव का।
हम दिन में दोपहर ढलते-ढलते स्पीती घाटी के किब्बर गाँव पहुंचे। लोकल बताते हैं कि komic गाँव तक रोड पहुँचने से पहले यही गाँव वर्ल्ड का सबसे ऊँचा मोटरेबल गाँव हुआ करता था। काफी सुंदर गाँव है। यहां हमने एक होमस्टे में रुककर लोकल डिश Thenktuk खाई। बहुत ही ज्यादा टेस्टी होती है।
स्पीति घाटी के साथ, किब्बर के निवासी भी तिब्बती बौद्ध धर्म का पालन करते हैं। वास्तव में, गांव बौद्धों के लिए एक विशेष महत्व रखता है क्योंकि वर्तमान दलाई लामा के शिक्षक सेरकोंग रिनपोछे की मृत्यु 80 के दशक के अंत में यहां हुई थी। दलाई लामा ने भी एक बार किब्बर में रिटायर होने की इच्छा व्यक्त की थी।
बर्फबारी होने पर किब्बर भी दुनिया से कट सा जाता है. किब्बर गांव में 100 से अधिक घर हैं. खास बात यह है कि सभी घर पत्थर और ईंट के बने हुए हैं. घरों की एकरूपता इन्हें दूर से देखने पर और आकर्षक बनाती है. यहां की लोकल डिश ट्राई करने के बाद हमने कार मुड़ाई सबसे फेमस और दिन के आखिरी पड़ाव की तरफ- की मोनेस्ट्री
Key Monastery ~ की गोम्पा (की मठ या की मोनेस्ट्री) इतिहास का एक ऐसा जीता जागता दस्तावेज है जिसे हर किसी को देखना चाहिए। हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति जिले में काजा से 12 किलोमीटर की दूरी पर है। यही नहीं, यह स्पीती की सबसे बड़ी मोनेस्ट्री है। कहा जाता है कि की गोम्पा की स्थापना 11वीं शताब्दी में प्रसिद्ध शिक्षक अतीश के शिष्य ड्रोमटन (ब्रोम-स्टोन, 1008-1064 सीई) ने की थी।
हालांकि यह पास के रंग्रिक गांव में अब नष्ट हो चुके कदम्पा मठ के बारे में भी हो सकता है, जिसे संभवत: 14 वीं शताब्दी में नष्ट कर दिया गया था जब शाक्य संप्रदाय मंगोलों की सहायता से सत्ता में आया था। फिर भी, यह माना जाता है कि मठ कम से कम एक हजार साल पुराना है। यहां तक कि 2000 में दलाई लामा की उपस्थिति में इसकी सहस्राब्दी का उत्सव भी मनाया गया था।
इस मोनेस्ट्री को कई बार लूटा गया लेकिन झुकी नहीं। यहाँ 19वीं शताब्दी में सिखों तथा डोगरा राजाओं ने आक्रमण भी किया था। इसके अलावा यह 1975 में आए भूकम्प में इसको भारी नुक़सान हुआ लेकिन फिर भी सुरक्षित रहा।
की गोम्पा पर कई बार मंगोलों द्वारा हमला किया गया था। 19वीं शताब्दी में, इस क्षेत्र में लड़ाई में शामिल विभिन्न सेनाओं द्वारा इस पर हमला किया गया और लूटा गया। इसके बाद 1840 के दशक में भीषण आग लगी थी।
यहां जब आप पहुंचते हैं तो लामा आपका बड़ा ही आदर सत्कार करते हैं। वे आपको इस मठ की हर बारीकी के बारे में बताएंगे। यहां केवल नए मठ की तरफ की तस्वीरें और वीडियो लेने की अनुमति है। आप पुराने मठ की तरफ की फोटो वीडियो नहीं ले सकते। पूरी मोनेस्ट्री घुमाने के बाद आपको लामा हर्बल टी पिलाते हैं।
नोट: अगर आपको की मोनेस्ट्री का आइकोनिक फोटो क्लिक करना है तो आपको थोड़ा ऊपर पहाड़ पर चढ़ना होगा। मैं कोशिश की लेकिन ज्यादा ऊपर नहीं जा सका।
की मोनेस्ट्री घूमने के बाद करीब 7 बजे हम वापस काजा पहुंच गए। जैसा कि मैं होटल रूम पहले ही बुक कर चुका था, मैंने वहीं वापस गया और फ्रेश होने के बाद फिर से ‘द हिमालय कैफे’ में जाकर दो बियर पीं और मस्त लोकल चिकन डिश ट्राई की और वापस आकर सो गया।
नोट: अगले दिन आपके पास दो विकल्प होंगे। अगर आपके पास समय है तो आप इस दिन चंद्रलात जाइए। अगर समय नहीं है तो सीधे मनाली जाइए। अगे मैं आपको चंद्रताल कैसे जाएं इस बारे में भी जानकारी दूंगा। लेकिन एक चीज याद रखें, जहां भी जाना हो -चंद्रताल या मनाली- टिकट आज शाम ही ले लें। क्योंकि बस अगले दिन सुबह 5 बजे निकलती है और एक ही बस उस रूट पर जाती है वो भी काजा से ही फुल होकर जाती है।
आज सुबह 4 बजे उठिए। फ्रेश होइए। होटल वाले को फोन करके चेक-आउट कीजिए। और बस स्टैंड की तरफ निकल जाइए। बोतल में पीने के लिए पानी बगैरा होटल से ही भर लें क्योंकि बस आगे काफी देर बाद ही रुकेगी।
अगर आपका प्लान काजा से चंद्रताल झील देखने जाने का है तो आपको बालात (Batal) तक का टिकट लेना होगा। ये बस आपको बालात सुबह 9 बजे से पहले पहले पहुंचा देगी।
नोट: बाताल से चंद्रताल झील की दूरी 14.7 km है। यहां से झील के लिए कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी नहीं चलता है। इसलिए बाताल से चंद्रताल झील जाने के लिए आपको किसी लोकल या अन्य टूरिस्ट से लिफ्ट लेनी पड़ेगी। अगर लिफ्ट नहीं मिलती है तो बाताल में रुकने का साधान है उसकी चिंता न करें। वैसे टूरिस्ट सीजन में आमतौर पर लिफ्ट मिल जाती है। चंद्रताल झील से थोड़ा पहले भी कुछ कैंप साइट हैं रुकने के लिए। मैंने समय की कमी के चलते चंद्रताल झील का प्लान स्किप कर दिया था।
मैं काजा से सीधे मनाली गया। काजा से मनाली का किराया 410 रुपये है। महिला के लिए 309 रुपये। काजा से मनाली का सफर काफी एडवेंचरस होने वाला है। रोड बिल्कुल भी नही है। बस पत्थरों पर चलती है। कई बार तो सांसे अटक जाती हैं। लेकिन सलाम है यहां के बस ड्राइवर्स को।
बस रास्ते में दो बार रुकती है। एक बार ब्रेकफास्ट के लिए और एक बार लंच के लिए। जिस दिन मैं सफर कर रहा था उस दिन मौसम काफी खराब था। पूरे रास्ते तेज बारिश हो रही थी।
खैर, आपको ये बस मनाली 2 से ढाई बजे के बीच पहुंचा देगी। एक बार मनाली पहुंच गए तो समझो कि घर पहुंच गए। मनाली लगभग हर जगह से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ शहर है। मनाली पहुंचने के बाद ये आप पर निर्भर करता है कि आप सीधे अपने घर जाना चाहते हैं मनाली में ही रुकना। समय इस दिन भी आपके पास काफी होगा।
मैंने उस दिन मनाली में रुकने का फैसला किया। क्य़ोंकि दिन भर के सफर के बाद मैं काफी थक गया था। इसलिए एक बजट का होटल लिया और थोड़ी देर आराम करने के बाद मनाली घूमने निकल गया।
मैं लोकल साइट देखने के लिए नहीं गया क्योंकि मनाली में मैं इससे पहले दो बार जा चुका हूं। मनाली जाना काफी नॉस्टाल्जिया जैसा फील होता है। बिना किसी संदेह के मनाली बेहद सुंदर हिल स्टेशन है। स्पीती सर्किट को कंपलीट करते हुए मैं काजा से मनाली पहुंचा था। ये तीसरी बार था जब मैं मनाली में था। इससे पहले अप्रैल 2017 और जनवरी 2018 में इस शहर को अच्छे से जाना। तब इतनी भीड़ नहीं थी। लेकिन अब चूंकि रोड कनेक्टिविटी सच में शानदार हो गई है इसलिए यहां टूरिस्ट की भरमार रहती है।
कुछ वायरल तस्वीरों के बाद अब यहां प्रशासन काफी सख्त है और कोविड नियमों का अच्छे से पालन कराया जा रहा है। लेकिन प्रशासन के अलावा ये सभी की जिम्मेदारी है वह कोविड प्रोटोकॉल का पालन करे।
अगले दिन होटल से दिन में 11 बजे चेकआउट करने के बाद फिर से मॉल रोड पर टहला और वहीं पुराने बस स्टैंड से टिकट बुक कराया शाम का दिल्ली के लिए।
नोट: मनाली से दिल्ली के लिए एसी बॉल्वो बसें नए बस स्टैंड से जाती हैं जोकि पुराने वाले से थोड़ा दूर है। चूंकि मनाली का पुराना बस स्टैंड तो मॉल रोड पर ही है लेकिन नया बस स्टैंड कुल्लू की तरफ से मनाली में जब एंटर करते हैं उसी साइड है। इसलिए बस स्टैंड पर थोड़ा समय से पहुंचे।
चूंकि मैंने पूरी यात्रा अब तक सामान्य बसों में की थी इसलिए अब मैं थोड़ा थक चुका था और मैंने दिल्ली के लिए बॉल्वो बस का टिकट लिया। मनाली से दिल्ली के लिए बॉल्वो बस का किराया 1695 रुपये (Manali to Delhi AC Bus Fare) था। आप चाहे तो अपने बजट के मुताबिक ऑर्डिनरी बस भी ले सकते हैं। मैंने शाम में साढ़े बजे की बस का टिकट लिया था।
और इस तरह मैं रात भर बस में सोने के बाद फाइनली स्पीती सर्किट पूरा करने के बाद दिल्ली पहुंच गया। मनाली से शाम साढ़े 5 बजे चलने वाली बस ने मुझे दिल्ली अगले दिन 10 बजे पहुंचाया। क्योंकि बारिश हो रही थी और रास्ते में कई जगहों पर जाम देखने को मिला। स्पेशली दिल्ली में एंटर करते वक्त।
बोनस- जिनके पास अधिक समय होता है वो अक्सर स्पीती से पहले किन्नौर भी घूमते हैं और फिर स्पीती का रुख करते हैं। किन्नौर होते हुए स्पीती जाने की बेस्ट आइटनरी इस प्रकार है- Delhi – Narkanda – Kalpa/Reckong Peo – Sangla / Chitkul – Nako – Tabo – Kaza (local villages) – Kunzum Pass – Chandratal – Rohtang Pass – Manali.
स्पीती से जुड़ी अहम जानकारी व किस मौसम में कैसे जाएं इसके लिए नीचे कुछ लिंक दे रहा हूं जिनमें विस्तार से जानकारी दी गई है।
कैसे करें स्पीति वैली की यात्रा; पढ़िए कंपलीट ट्रैवल गाइड
क्या स्पीति घाटी पर्यटकों के लिए सुरक्षित है?
स्पीति घाटी जाने का सबसे अच्छा समय कब है?
स्पीति वैली ट्रिप के लिए क्या कपड़े पैक करें?
स्पीति घाटी में एटीएम, मोबाइल नेटवर्क और डेटा कनेक्टिविटी कैसी है?
देखिए, ये आर्टिकल भले ही बहुत लंबा हो गया हो लेकिन स्पीती सर्किट को इससे कम शब्दों में समेटना मुश्किल है। फिर भी अगर आपके कोई सवाल हैं तो कमेंट कर हमें जरूर बताएं। हमें मदद करने में खुशी होगी।
आप हमसे इंस्टाग्राम पर भी जुड़ सकते हैं।
21 best places to visit in India in November: नवंबर का महीना भारत में यात्रा…
Photo Editing Tutorials Guide: फ़ोटो एडिटिंग आज के डिजिटल युग में एक महत्वपूर्ण स्किल बन…
15 Best Places to Visit in September in India Full Details Here: सितंबर का महीना…
Pahalgam Travel Guide: पहलगाम, जम्मू और कश्मीर का एक छोटा लेकिन बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन…
Invisible NGO A team of 12 mountaineers under No Drugs Caimpaign set an example of…
Complete kashmir Travel Plan: कश्मीर, जिसे धरती का स्वर्ग कहा जाता है, हर यात्री की…
View Comments