Video: जनवरी में केंदारकांठा विंटर ट्रेक कैसी दिखती है? इस वीडियो में देखिए खूबसूरत सफर की झलकियां

Best Snow Trek in winter in India: यह वीडियो केदारकंठा ट्रेक (KEDARKANTHATREK IN WINTERS) का है. मैंने 9 जनवरी 2020 को ये ट्रेक की थी. यह स्थान भारत के उत्तराखंड में है. इस वीडियो में, मैं आपको दिखा रहा हूं कि सांकरी (SANKARI.. वो गांव जहां से ट्रेक शुरू होती है) तक पहुंचने में क्या लगता है. ट्रेक आसान नहीं है, खासकर जब भारी बर्फबारी हो रही हो.

यह सिर्फ एक शॉर्ट वीडियो फिल्म है जिसमें हिमालय के सुंदर दृश्य हैं. (Read Also: केदारकांठा ट्रेक पार्ट-1: अगर जानवर न बोलते तो आज केदारनाथ मंदिर यहीं होता, जानिए केदारकांठा के बारे में सब कुछ)

केदारकंठ जिसे अक्सर केदारकांठा (Kedarkantha) भी कहा जाता है वो हमारे उत्तराखंड में हिमालय की एक पर्वत चोटी है. इसकी ऊँचाई 12,500 फीट है. ये बेहद ही खूबसूरत जगहों में से एक है. खास बात ये है कि केदारकांठा उत्तरकाशी जिले में गोविंद वन्यजीव अभयारण्य के भीतर स्थित है जहां तरह-तरह का खूबसूरती देखनो को मिलती है. काफी दिनों के इंतजार के बाद उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में पड़ने वाली इस ‘केदारकांठा ट्रेक’ जाने का अवसर मिला. (Best Snow Trek in India)

भारत की सबसे फेमस विंटर ट्रेक में से एक है. गोविंद वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में पड़ने वाली इस ट्रेक की खूबसूरती को शब्दों में बयां करना मुश्किल है. सर्दियों में देहरादून से मसूरी होते हुए सांकरी गांव तक पहुंचना आसान नहीं है. लेकिन ये बिल्कुल वैसा ही है जैसा हम सोच कर गए थे. दरअसल केदारकांठा ट्रेक सांकरी गांव से शुरू होती है. इसलिए इस ट्रेक पर जाने वाले टूरिस्ट के लिए इस गांव में पहुंचना होता है. (Read Also: केदारकंठा ट्रेक, पार्ट- 2: बिना इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क के कैसी होती है पहाड़ी जिंदगी? बर्फबारी के बीच देहरादून से सांकरी का वो अद्भुत सफर)

केदारकांठा- ‘केदार’ मतलब भगवान शिव और ‘कंठ’ मतलब गला अर्थात भगवान शिव का गला. वैसे तो केदारकांठा को लेकर बहुत सारी मान्यताएं हैं लेकिन जिसकी बात सबसे ज्यादा होती है वो ये है कि यह मूल केदारनाथ मंदिर था. दरअसल भगवान शिव हिमालय में रहते थे. पहाड़ों में कई शिव प्राचीन शिव मंदिर हैं और उनका मिथ महाभारत से जुड़ा हुआ है. महाभारत युद्ध के बाद पांडव भगवान शिव से आशीर्वाद लेने के लिए हिमालय गए. लेकिन भगवान शिव उनसे मिलने नहीं आए. बल्कि उन्होंने भैंस (लोग बैल भी बताते हैं) का भेष धारण किया और पांडवों को गुमराह करने लगे.

तभी भैंसों के झुंड को देखकर भीम ने एक चाल चली. वह दो चट्टानों पर पैर फैलाकर खड़े हो गए. सभी भैंस भीम के नीचे से गुजरने लगीं. लेकिन एक भैंस (जिसका रूप शिव जी ने धारण किया हुआ था) ने भीम के पैरों के नीचे से निकलने से मना कर दिया और नतीजा निकला फाइट! इस लड़ाई में, भीम ने भैंस को टुकड़ों में बांट दिया. जिस स्थान पर ये टुकड़े गिरे पांडवों ने बाद में पूजा करने के लिए वहां पर शिव मंदिरों का निर्माण किया. (Best Snow Trek in India)

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