एक मध्यमवर्गीय परिवार की ऐसी कहानी आपको लगभग हर घर में देखने को मिलेगी। ये केवल किसी बूढ़ी मां के बच्चे पैदा करने को लेकर नहीं है बल्कि उस वातावरण के बारे में भी है जिसमें एक सास है जो बहू से प्यार तो करती है लेकिन उसे सास बिरादरी की कथित इज्जत रखनी है जिसके चलते वो उसे बोल नहीं पाती और हमेशा ताने मारती रहती है। वहीं दूसरी तरफ वो सगे रिश्तेदार भी हैं जो तुम्हारे अच्छे काम पर जलते हैं और जब भी उन्हें तुम्हारे कथित गलत काम पर ताने मारने को मिलता है तो सबसे आगे होते हैं। यहां तक कि आपके दुश्मनों से ज्यादा आपके सगे वालों को उस मौके का इंतजार रहता है कि कब वे आपकी खिल्ली उड़ा पाएं।
इसके अलावा वो बेटे भी हैं जिन्हें मां-बाप से ज्यादा उस समाज की चिंता है जो झूठ और कट्टरता से भरा है। बेटे इतने सयाने हो गए हैं कि उन्हें मां-बाप से ज्यादा ढोंगी समाज की चिंता है। वहीं चौराहे पर बैठे कुछ दोस्त भी हैं जो हमेशा अपनी ‘बेइज्जती’ का बदला लेने के लिए मौका देखते रहते हैं। जिन्हें अपना मजाक तो मजाक लगता है लेकिन दूसरों का मजाक उन्हें अपनी बेइज्जती लगती है। सेक्स को लेकर जिस तरह से इस फिल्म में कहा और समझाया गया है मुझे नहीं लगता कि हाल फिलहाल की कोई फिल्म में ऐसा हुआ हो? वैसे तो ये केवल एक फिल्म है लेकिन मुझे सब सच लगा।
और हां, फिल्म का वो सीन जिसमें बाप अपने बेटों को उनकी मां के प्रग्नेंट होने की बात बताता है, वो इस फिल्म की जान है।
फिलहाल आयुष्मान खुराना जिस तरह की फिल्में कर रहे हैं उसके लिए भी उनको ‘बधाई हो’