लेखक: राम बाबू (भूतपूर्व वायुसेना अधिकारी)
आज से लगभग बारह वर्ष पूर्व सम्पूर्ण भारत वर्ष में कालाधन और भ्रष्टाचार को समिधा बना कर आदरणीय अन्ना हजारे के चेले अरविंद केजरीवाल ने अपनी राजनीति खूब चमकाई। दिल्ली के सीएम बनने तक केजरीवाल ने अन्ना आंदोलन के स्तम्भों कुमार विश्वास, योगेन्द्र यादव और प्रशान्त भूषण का खूब सहारा लिया। केजरीवाल अपने मुख्य गुरु हजारे को साधन स्वरूप बनाकर राजनीति के दलदल में प्रवेश कर गए। लेकिन राजनीतिज्ञों में शिरोमणि अरविंद केजरीवाल जिस तरह भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पर इतने कम समय में पहुंचे हैं वह हैरान करने वाला है।
यात्रा शुरू हुई तो केजरीवाल नीति विरोधी स्तम्भों, कुमार विश्वास, योगेन्द्र यादव, प्रशान्त भूषण, किरण बेदी को ढहा कर उच्च श्रेणी के विश्वास घाती बन गए। जिस तरह औरंगजेब ने अपने तीन भाइयों दारा शिकोह, शुजा और मुराद का वध किया व शाहजहां को कैद किया, ठीक वैसे ही केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने। वे दिल्ली वासियों ठगते आ रहें हैं।
पूर्व राजस्व अधिकारी केजरीवाल पर अब खुद दारू के घोटालेबाज का तमगा लग रहा है। कथित तौर पर करोड़ों रुपए डकार गए और भ्रष्टाचार के नए कीर्तिमान स्थापित किए। ईडी ने पूछताछ कर शराब घोटाले में आरोपी बनाया और उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया। अब देशवासियों, खासतौर से दिल्लीवासियों को अहसास हुआ है कि बारह साल पहले आम आदमी पार्टी का पंकज रूपी संस्थापक आज जोंक की तरह आम आदमी की हड्डी तोड़ कमाई चूस रहा है। लोग अब शायद ही ऐसे नेताओं के लोक लुभावने आश्वासनों पर विश्वास करें।
(नोट: यह लेखक के निजी विचार हैं।)