Shimla to Kalpa: हिमाचल प्रदेश की गोद में बसा शिमला और किन्नौर जिले का खूबसूरत कल्पा, दो ऐसे स्थल हैं जो प्रकृति प्रेमियों और एडवेंचर पसंद यात्रियों के लिए स्वर्ग से कम नहीं। शिमला से कल्पा तक का सड़क सफर न केवल हिमालय की गोद में एक अनोखी यात्रा है, बल्कि यह आपको प्रकृति के उस अनछुए सौंदर्य से भी रूबरू कराता है, जो शहरी जीवन की भागदौड़ में अक्सर खो जाता है। यह सफर लगभग 230 किलोमीटर का है और इसे पूरा करने में 8 से 10 घंटे लग सकते हैं, लेकिन हर मोड़ पर मिलने वाले नजारे इस लंबी यात्रा को यादगार बना देते हैं। आइए, इस सफर को विस्तार से जानते हैं।
शिमला: सफर की शुरुआत
शिमला, हिमाचल प्रदेश की राजधानी, अपने औपनिवेशिक आकर्षण और ठंडी हवाओं के लिए मशहूर है। मॉल रोड की चहल-पहल, रिज की खुली हवा और जाखू मंदिर की शांति के साथ यह शहर सफर की शुरुआत के लिए एकदम सही है। सुबह की ताजगी के साथ जब आप शिमला से कल्पा की ओर निकलते हैं, तो हरे-भरे जंगलों और पहाड़ों की ठंडी हवा आपका स्वागत करती है। यहाँ से सफर शुरू करने से पहले अपनी गाड़ी की जाँच और जरूरी सामान जैसे पानी, नाश्ता और गर्म कपड़े साथ रखना न भूलें।
कुफरी और नारकंडा: पहला पड़ाव
शिमला से कुछ ही दूरी पर कुफरी आता है, जो सर्दियों में बर्फ से ढक जाता है। यहाँ से हिमालय की चोटियों का पहला नजारा मन को मोह लेता है। आगे बढ़ते हुए नारकंडा का रास्ता आता है, जो अपने सेब के बागानों और हाटू पीक के लिए जाना जाता है। नारकंडा में आप कुछ देर रुककर चाय की चुस्कियों के साथ प्रकृति का आनंद ले सकते हैं। यहाँ से सड़क थोड़ी संकरी होने लगती है, लेकिन हर किलोमीटर के साथ दृश्य और भी मनोरम होते जाते हैं।
रामपुर और ज्यूरी: सतलुज का साथ
नारकंडा से आगे बढ़ते हुए रामपुर बुशहर आता है, जो सतलुज नदी के किनारे बसा एक ऐतिहासिक शहर है। यहां का पुराना महल और बाजार आपको हिमाचल की संस्कृति से जोड़ता है। रामपुर से आगे बढ़ते ही सतलुज नदी आपके सफर की साथी बन जाती है। ज्यूरी तक का रास्ता आपको नदी की घाटियों और ऊँचे पहाड़ों के बीच ले जाता है। यहाँ सड़क थोड़ी चुनौतीपूर्ण हो सकती है, लेकिन हर मोड़ पर प्रकृति का बदलता रंग इसे रोमांचक बनाता है।
सांगला घाटी: किन्नौर का प्रवेश द्वार
रास्ते में सांगला घाटी का नजारा आपको ठहरने पर मजबूर कर देगा। यह घाटी अपनी हरी-भरी वादियों, सेब के बागानों और बास्पा नदी के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ रुककर आप स्थानीय व्यंजन जैसे सिद्दू और ठुक्पा का स्वाद ले सकते हैं। सांगला से कल्पा की दूरी अब ज्यादा नहीं रहती, लेकिन यहाँ से रास्ता और भी ऊँचाई की ओर बढ़ता है। पहाड़ों की चोटियाँ अब करीब दिखने लगती हैं और हवा में ठंडक बढ़ने लगती है।
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कल्पा: हिमालय की गोद में विश्राम
अंततः, आप कल्पा पहुंचते हैं, जो समुद्र तल से लगभग 2,960 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह छोटा सा गाँव अपनी शांति और किन्नर कैलाश पर्वत के अद्भुत दृश्यों के लिए जाना जाता है। सुबह के समय जब सूरज की पहली किरणें किन्नर कैलाश पर पड़ती हैं, तो यह नजारा किसी जादू से कम नहीं लगता। यहाँ के मठ, जैसे हु-बु-लान-कार गोम्पा, और सेब के बागान इस जगह को और खास बनाते हैं। रात को खुले आसमान के नीचे तारों को निहारना इस सफर का सबसे सुकून भरा अनुभव होता है।
यहां देखें सफर का पूरा वीडियो
यात्रा के लिए टिप्स
सही समय: मई से अक्टूबर के बीच का समय इस सफर के लिए सबसे अच्छा है, क्योंकि सर्दियों में बर्फबारी से रास्ते बंद हो सकते हैं।
वाहन: एक मजबूत गाड़ी चुनें, क्योंकि कुछ रास्ते ऊबड़-खाबड़ हो सकते हैं।
जरूरी सामान: गर्म कपड़े, प्राथमिक चिकित्सा किट, और अतिरिक्त ईंधन साथ रखें।
स्थानीय संस्कृति: किन्नौर के लोगों का आतिथ्य और उनकी बोली ‘किन्नौरी’ आपको प्रभावित करेगी।
शिमला से कल्पा का यह सड़क सफर सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि प्रकृति, रोमांच और आत्मिक शांति का एक संगम है। हर किलोमीटर पर बदलते नजारे, पहाड़ों की ऊँचाइयाँ और घाटियों की गहराइयाँ आपको जीवन की सादगी और सुंदरता का एहसास कराती हैं। तो अगली बार जब आप हिमालय की सैर का मन बनाएँ, शिमला से कल्पा की इस यात्रा को जरूर चुनें। यह सफर आपके दिल और दिमाग पर एक ऐसी छाप छोड़ेगा, जो कभी मिटेगी नहीं।
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